Sunday, 3 January 2021

रात यूँ ही ढलती रहेगी



यूँ ही तारीखें बदलती रहेंगी
दूरियाँ ऐसे ही बढ़ती रहेंगी
होते पास तुम तो बात यूँ न बदलती
अब छिड़ गई है बात
तो रात यूँ ही ढलती रहेगी
शब और सहर में अब फासला ना होगा
तुम आए हो आज घर
मंज़ूर हो न हो
आग यूँ ही जलती रहेगी
साँस यूँ ही चलती रहेगी
रात यूँ ही ढलती रहेगी

दूरियाँ दूरियाँ लाई हैं
दूर थे जो दूर
वो क़रीब जायेंगे
पुराने ज़ख्म भरते रहेंगे
नए बनते रहेंगे
ज़िन्दगी यूँ ही कटती रहेगी
बात शुरू हुई है
तो रात भर ये बढ़ती रहेगी

तेरी यादों के किस्से आये है
खुशियों में नमी भी लाए हैं
आज रुक जा इस शब में
बात छिड़ गयी है तो बात बढ़ती रहेगी
रात जलती रहेगी, साँस चलती रहेगी,
रात यूँ ही ढलती रहेगी।

Photo by Rene Asmussen from Pexels

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