नहीं रही घर आगमन की आस मुझे
प्यारा लगने लगा ये वनवास मुझे
मोह खत्म हुआ अब रिश्तों की डोर का
राह दिखा रहा बुद्ध का संन्यास मुझे
समाधि में वैभव की चाह कहां
नहीं बुरा लगता मेरा उपहास मुझे
किसी लम्स में अब अना कैसी
शांत कर देता है ईश का आभास मुझे
~ Ayush Suryavanshi
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