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बिलकुल ऐसी ही रात वो भी थी..... सर्द रात ..... कंपकंपाने वाली ठण्ड ..... आँखों में चुभ रही थी सामने से आती गाड़ियों कि लाइट्स ..... गाड़ियों का वो शोर..... भागते शहर का वो शोर ..... इन सब पे हावी था एम्बुलेंस का वो सायरन ..... उससे भी तेज़ उस शक़्स की लंबी लंबी साँसे ..... या शायद उससे भी तेज़ उस बूढ़ी औरत का उसके बगल बैठ रोना..... अचानक से सब कुछ शांत हो गया ..... मैं ..... मेरी कलम..... और वो शक़्स भी.....
sachmuch sb shaant hai .. kafi acha likhte ho tum
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