Monday, 2 January 2017

आज न तुम हर्फ़ ख़र्च करना न मैं

आज आँखों ही आँखों में बातें करते हैं

आज न तुम हर्फ़ ख़र्च करना न मैं....  आज आँखों ही आँखों में बातें करते हैं....  नहीं -नहीं ... तुम्हारी आवाज़.... इश्क़ है मुझे तुम्हारी आवाज़ से...... मगर तुम्हारी ये क़ातिल निगाहें .....इनका भी तो दीवाना हूँ मैं ..... फिर मैं क्या करूँ??

ऐसा करो मेरे ख़्वाब में आजाओ......देखना कितनी हसीं है मेरी वो दुनिया .... जहाँ तेरे संग गुज़री वो सर्द रातें होंगी .... तेरे संग गुज़रे हसीं लम्हो की यादें फिर ज़िंदा होंगी ..... तेरी स्याह ज़ुल्फे  उसी रात की तरह मेरे चेहरे पे बिखर रही होगी.... तेरी खूबसूरती और भी निखर रही होगी .... उस दिन की  तरह ही फिर शर्माना और नज़रे चुराकर मेरी बाहों में सिमट जाना .... 
लेकिन ख़ुदा के लिए उस रात से कह देना की वहीं ठहर जाए .... नहीं तो हमेशा की तरह फिर उजाला होगा और तुम चली जाओगी .... 


रात वो जाने कैसी ख़ास होगी
जब तू मुझमे सिमटती मेरे पास होगी
फिर तो न जीने की कोई आस होगी
क्योंकि तेरे साँसों में ही मेरी सांस होगी।।।।।


3 comments:

  1. Well-done as always. Start making videos of your own, reciting your poems. Then, upload it on YouTube, create a separate youtube channel. Share it with like minded peoole.

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    1. THANK U SO MUCH FOR UR SUGGESTION MAYUK, YOUR WORDS MEAN A LOT TO ME.

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