Sunday, 18 December 2016

उसे पाकर मुझे भूल सा जाते हो तुम / USEY PAAKAR MUJHEY BHUL SA JAATE HO TUM




उसे पाकर मुझे भूल सा जाते हो तुम
मैं खुद में खुद को ढूंढ नहीं पाता
जाने उसे कहाँ से ढूंढ लाते हो तुम।

देखते नहीं, यहाँ ज़िन्दगी में शाम हो गयी,
राहो में चाहते बदनाम हो गयी ,
हम ढूंढते रहे तुम्हे गुफ्तगू के लिए ,
हमारे ही दिल की ओट में
किसी और का नाम ले दिल बहलाते हो तुम
उसे पाकर मुझे भूल सा जाते हो तुम ।

कहते हो  लिख दो मेरी ख़ातिर भी कुछ .... 
हमने जो लिखा
अपने इश्क़ के नाम उसे सुना जाते हो तुम
उसे पाकर मुझे भूल सा जाते हो तुम।

जब इश्क़ हुआ नहीं तो बेवफ़ाई कैसी
मेरा ख़ुदा ही नहीं तो रहनुमाई कैसी
अब जब जाम है ही नही
तो फिर पीने की बात कर, दिल क्यों दुखाते हो तुम
उसे पाकर मुझे भूल सा जाते हो तुम।

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