
राम के नाम पे तुम नफ़रत न फ़ैलाओ ,
अयोध्या की भक्ति में सियासत न मिलाओ ,
ये सरयू का पानी है इसमें ज़हर न मिलाओ,
इंसानियत को इंसानियत रहने दो
इसमें हैवानियत न मिलाओ।
तुमसे ज्यादे सगे है राम मेरे
क्या मैं भी चिल्लाऊँ ?
नहीं मुझे दिखाना नहीं है
मुझे चिल्लाना नहीं है
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सरयू नदी अयोध्या |
हमारे राम तो नहीं रह पाएंगे वहाँ ........ जहाँ एक मंदिर टूटा ..... जिसकी ख़ातिर इतनी जाने गयी..... कितने घर जल गए ....हो सकता है उनके राम रह ले .....
मेरे राम को तो किसी पाक़ दिल की तलाश है....... नहीं मेरा नहीं है ...... पर हाँ किसी का तो होगा ज़रूर .......
हो सकता है आप का ही हो .......
राम इंसानियत के है, इन्हें धर्म से ना जोड़ो
किसी का मंदिर तोड़, तुम अपनी सियासी ईंटे ना जोड़ो।
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