Wednesday, 28 December 2016

वो ख़ुदा होके कैसे देख पाता है


मैं नहीं देख पाता ये इंसान होके
वो ख़ुदा होके कैसे देख पाता है
अगर है वो ख़ुदा और है सब उसी की मर्ज़ी
तो इंसानों को ऐसे क्यों तड़पता है

मुझे लगा की ये ज़ख्म भर जायेगा
पर ये तो हर बार उभर आता है
अगर है वो ख़ुदा तो कह दे उसे दिखाये अपनी ख़ुदाई
मैं भी देखूँ तेरा ये ख़ुदा क्या क्या कर पाता है

कहीं अस्पतालों में खून चाहिए
कहीं तेरे नाम पे ही खून बह जाता है
कोई मर रहा है भूखा
तुझे क्या तेरे नाम हज़ारो का प्रसाद चढ़ जाता है


आ देख यहाँ ये मज़बूर आँखे, ये बेबस चेहरा
देखूँ मैं भी की क्या तू ख़ुदा होके भी ये देख पाता है

जिसे देख मेरा दिल सिहर जाता है
पता नही तेरा ख़ुदा कैसे अपने ही बच्चो की ये हालत सह पाता है
जिसे देख़ मैं हर रोज़ मरता हूँ
पता नहीं तेरा ये ख़ुदा ये सब देख़ ज़िंदा कैसे रह जाता है

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