है तेरी आँखों में नमीं
कहीं बारिश है क्या ?
है तेरे दिल में आँसू
कोई जल रही शिफ़ारिश है क्या ?
ख्वाब किसी और ने तोड़े
रुआब किसी और पे हो क्यों दिखाते
अगर वो नहीं सुनता हाल ए दिल तेरा
तो किसी शायर को क्यों नहीं सुनाते

खैर ये सब छोड़ो
आज तुम भी दिल मत तोड़ो
आँखों से नमीं हटानी थी तेरे
दिल से अरमान नहीं
चलो कोई बात नहीं
शायद मेरी इतनी औक़ात नहीं
जो सुन सके दर्द तुम्हारा
तुम उसे ही बताना
मगर हाँ, जो परवाह करे
कुछ दर्द उससे भी साझा कर जाना
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