
तेरा कातिल अंदाज़ ,
वो तेरी रूहानी निगाहों की बाते,
मानो हो मेरे लिए सौगाते ,
वो तेरा हँसता खेलता चेहरा,
दे रहा मेरे दिल-ओ -ज़हन पे पहरा,
तुझमे कुछ अलग बात सी है,
लिख सके ये सूर्यवंशी, तुझमे वो आग सी है,
उस चाँद का अक्स तेरे सिवा किसी और में न था,
लिख सकूँ ये नग़्मे, इतना शादमान किसी और में न था,
तुझसे मिलने से पहले मेरी कोई चाहत न थी,
जिसे हर पल मैंने याद किया , तू हर उस इनायत में थी,
यूँ तो कहते हैं, हमे कुछ लोग दिल फेंक आशिक़,
मगर तेरी ख़ूबसूरती पे लिखना भूल जाता, इसमें मेरे दिल की हिफाज़त न थी ,
अब तो बस तेरा ही खुमार है, तुझसे ही ऐतबार है,
तो क्यों न कह दूँ मैं, की सिर्फ और सिर्फ तुमसे ही प्यार है
AYUSH SINGH SURYAVANSHI
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