Monday, 8 July 2019

ड्राइविंग सीट


वो कहते हैं न कि लड़कियों की अच्छी ड्राइविंग स्किल्स नहीं होती,,,अब ये राम जी ही जानें या लड़कियां ही जाने...ड्राइविंग से उनकी वो बात याद आती है इस रिश्तें में ड्राइविंग सीट पर आरवि बैठी थी...और मैं उसके पीछे यानि बैक सीट पर, उसने जहां चाहा मन मुताबिक मोड़ा, जहां मन किया ब्रेक लगाया और बीच रास्ते में ही सीट छोड़ कर उतरकर कह दिया – ये लो संभालो अपनी गाड़ी, आज अफसोस होता है कि जिस ड्राइविंग सीट पर वो थी, कम से कम वहां बैठ ये गाड़ी चलाना तो सीख सकता था मैं ?”.
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पर मैं चाहता हूं कि इस नवजात रिश्ते की गाड़ी तुम्हीं संभालो हमेशा, जैसा पहले दिन से संभालती-संवारती आई हो, जैसे हर दिन इसे खूबसूरत मोड़ दिया है, ठीक वैसे ही...और हां मुझे हादसे का डर नहीं है, अपनी मौत का भी नहीं,,,और शायद इसीलिए इस नवजात रिश्ते को मैं जिंदा रखना चाहता हूं...जैसे तुम्हें खुश देख, सूकून में देख, मैं लम्हें सूकून में गुजार लेता हूं ना, ठीक वैसे ही एक उम्र गुजारने की ख्वाहिश है,..अपने इस नवजात रिश्ते को बड़ा होते देख...इसे हंसता देख...इसके रोने पर तुम्हें चुप कराता देख....इसके नाराज होने पर तुम्हें इसे मनाते देख और बिस्तर पर हम दोनों के साथ इसे सूकून में सोता देख...

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