ख़्वाहिशों को ख़ुद में ही दफन करता हूँ
जिस्म को ही रूह का क़फ़न करता हूँ
जिस्म को ही रूह का क़फ़न करता हूँ
ना मुक्कमल सी ज़िंदगी की बस इतनी सियासत है
ख़ुद पर तरस खा कर, ख़ुद पर ही रहम करता हूँ
ख़ुद पर तरस खा कर, ख़ुद पर ही रहम करता हूँ
ख़ुद का वजूद ख़ुद में तलाशता हूँ
किसी की मंज़िल नहीं, मैं सिर्फ रास्ता हूँ
देख मुझे, मैं कितना सब्र करता हूँ
बिस्तर को ही रोज़ मैं अपनी क़ब्र करता हूँ
किसी की मंज़िल नहीं, मैं सिर्फ रास्ता हूँ
देख मुझे, मैं कितना सब्र करता हूँ
बिस्तर को ही रोज़ मैं अपनी क़ब्र करता हूँ
दुनिया, आहिस्ते से न उजाड़ मुझे
रहन दे, तह-ए-ख़ाक से न उखाड़ मुझे
ख़ाक के सुपुर्द-ए-ख़ाक की ख़बर करता हूँ
ले इब्तेदा अलविदा -ए- सफ़र करता हूँ
रहन दे, तह-ए-ख़ाक से न उखाड़ मुझे
ख़ाक के सुपुर्द-ए-ख़ाक की ख़बर करता हूँ
ले इब्तेदा अलविदा -ए- सफ़र करता हूँ
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