लिखने का आगाज़ करता हूँ
खुद को मैं नाराज़ करता हूँ
खुद को मैं नाराज़ करता हूँ
इतनी शिद्दत से तुझे चाहा
इतनी खुलूसियात से तुझमे खोना चाहा
इतनी खुलूसियात से तुझमे खोना चाहा
पर जाने क्यों लोग मुझे अय्याश समझ लेते है
दूसरों को मेरे आगे ख़ास समझ लेते है
दूसरों को मेरे आगे ख़ास समझ लेते है
गलती मेरी है मैं ही उम्मीदे कर गया
तेरे संग हर सपने में रंग भर गया
तेरे संग हर सपने में रंग भर गया
इन सब के बाद भी तुझे पाने की ख़्वाहिश में हूँ
तेरे लिए खड़ा मैं इस नुमाइश में हूँ
तेरे लिए खड़ा मैं इस नुमाइश में हूँ
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