
GIRL -- मुझे भी तेरे इश्क़ की चाहत है,
मुझे भी तुझसे मिलने की चाहत है।
पर क्यूँ तु सबसे अलग सा है,
मुझ पे मरता भी है,
पर मिलने से डरता भी है।
बेपरवाह बादल की तरह उड़ना चाहती हूँ,
बदलते मौसम की तरह हर जगह से गुज़रना चाहती हूँ।
पर तू तो उस धरती की तरह पड़ा है,
मानो पैरों में लिए कोई जंज़ीर खड़ा है,
तोड़ दे उन बंदिशो को ,
आज़ाद कर अपनी ख़्वाहिशों को।
आज फिर दे दिल मुझे,
ईंक बार फिर ले मिल मुझे।

BOY-- हर बात में तेरी फ़िक्र हो क्या ये ज़रूरी है
हर शायरी में तेरा ज़िक्र हो क्या ये ज़रूरी है।
सबकी तरह मैं इश्क़ करूँ, क्या ये ज़रूरी हैं।
सबकी तरह अय्याश बनूँ , क्या ये ज़रूरी है
इबादत है, इश्क़ नहीं
रहमत है, ख़ैरात नहीं।
ऐसे इश्क़ से तो, मैं तन्हा ही सही था,
कम से कम कुछ करना तो ज़रूरी नहीं था।
Wah wah wah...bhot khoooob bhaijan
ReplyDeleteLage raho
SHUKRIYA SHUKRIYA BHAI G
ReplyDeleteजियो मंजनू भाई जियो 👌👌👌👌
ReplyDeletehahah
Deletethank u bhai
Waahh Waahh kya likha hai
ReplyDeleteWaahh Waahh kya likha hai
ReplyDeleteAwesome
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